LEHA हिंसा मामले पर जाने-माने पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हाल की घटनाओं में उन्हें “बलि का बकरा” बनाया जा रहा है। वांगचुक ने दावा किया कि लद्दाख में लोगों की असल आवाज़ और उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों से ध्यान भटकाने के लिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
उनके अनुसार, लेह में हुई हिंसा की असली वजह स्थानीय लोगों का असंतोष है, जो छठे अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने, भूमि और नौकरियों की सुरक्षा, तथा पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों से जुड़ा है। लेकिन प्रशासन और कुछ राजनीतिक ताकतें इन गंभीर मुद्दों पर संवाद करने के बजाय हिंसा की जिम्मेदारी उनके सिर पर डाल रही हैं।
सोनम वांगचुक ने कहा कि वे हमेशा शांतिपूर्ण आंदोलन और अहिंसात्मक तरीकों के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने कई बार उपवास और धरना देकर अपनी मांगें रखी थीं, जो पूरी तरह शांतिपूर्ण थे। उनका कहना है कि अगर लेह हिंसा में उन्हें दोषी ठहराया जाता है तो यह न केवल सच्चाई से भटकाने वाली बात होगी बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने जैसा होगा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि लद्दाख के लोग विकास चाहते हैं, लेकिन बाहरी खनन कंपनियों की एंट्री, संसाधनों के दोहन और रोज़गार की अनदेखी से उनकी नाराज़गी बढ़ रही है। इस संदर्भ में उन्होंने अपील की कि सरकार संवाद का रास्ता अपनाए और वास्तविक मुद्दों पर ध्यान दे, न कि आंदोलनकारी आवाज़ों को दबाए।
लेह हिंसा के बाद माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम में लेह-लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक का नाम सामने आने पर उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। वांगचुक ने कहा कि उन्हें जानबूझकर इस विवाद में घसीटा जा रहा है और “बलि का बकरा” बनाया जा रहा है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उनका उद्देश्य हमेशा से लद्दाख के लोगों के अधिकारों, पर्यावरण संरक्षण और क्षेत्र की शांति बनाए रखने से जुड़ा रहा है। हिंसा के किसी भी रूप में शामिल होने का आरोप पूरी तरह निराधार है। वांगचुक ने यह भी बताया कि वे लगातार शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से अपनी बात रखते आए हैं, इसलिए उन्हें हिंसा से जोड़ना एक सोची-समझी रणनीति प्रतीत होती है।
सोनम वांगचुक के मुख्य आरोप और बयान:
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राजनीतिक साजिश का इशारा: वांगचुक ने कहा कि कुछ राजनीतिक शक्तियाँ उनकी बढ़ती लोकप्रियता और जनता से उनके जुड़ाव को लेकर असहज हैं। यही वजह है कि उन्हें हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
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शांतिपूर्ण आंदोलन का हवाला: उन्होंने अपने हालिया अभियानों का ज़िक्र किया, जिनमें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अभियान और लद्दाख को संवैधानिक सुरक्षा (छठी अनुसूची) देने की मांग शामिल है।
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सरकार से अपील: वांगचुक ने केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है ताकि सच सामने आए और असली दोषियों पर कार्रवाई हो सके।
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जनता को संदेश: उन्होंने लद्दाख की जनता से अपील की है कि वे उकसावे में न आएं और शांति बनाए रखें, क्योंकि हिंसा से केवल क्षेत्र का नुकसान होता है।
लेह हिंसा का पृष्ठभूमि:
हाल ही में लेह में स्थानीय संगठनों और प्रशासन के बीच टकराव बढ़ा था, जिसके चलते स्थिति बिगड़ गई। कई जगहों पर प्रदर्शन हिंसक हो गए। प्रशासन का दावा है कि कुछ बाहरी ताकतों ने माहौल खराब किया, वहीं स्थानीय नेताओं का आरोप है कि उनकी आवाज़ दबाई जा रही है।
स्थिति की गंभीरता:
लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्र में, जो सीमाई इलाका है और जहाँ पर्यावरणीय व राजनीतिक दोनों चुनौतियाँ हैं, हिंसा के चलते हालात और जटिल हो सकते हैं। सोनम वांगचुक का नाम इसमें घसीटे जाने से न केवल उनकी छवि पर असर पड़ा है बल्कि जन-भावनाओं में भी बेचैनी बढ़ी है।
वांगचुक ने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश जारी रही, तो यह लद्दाख के लोगों में और गहरा अविश्वास पैदा करेगा। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान दे, न कि उन्हें बलि का बकरा बनाकर मुद्दों से ध्यान भटकाए।